हे पुरोधाओं

हे! पुरोधाओं
भाषाविदों, साहित्यकारों
बैठ मिलजुल
हिन्द की हिंदी सँवारो!!
आंग्ल भाषा अब चतुर्दिक
मातृभाषा को दबाये
लॉर्ड मैकाले खड़ा हो कर
कहीं पर मुस्कुराये
राष्ट्रभाषा को
मिले सम्मान, कुछ सोचो विचारो!

कुछ करो ऐसा कि
हिंदी में लिखें तो जग पढ़े
देश की भाषा
बने हिंदी, तभी गौरव बढ़े
गैन्जेज़ नहीं गंगा कहो
क्यों बुद्ध को बुड्ढा पुकारो!

अंग्रेजियत के
सामने, हिंदी खड़ी है दुम दबाये
हर अदालत में,
रहे वो साहबों से मुँह छिपाये
हो रही ग़लती
तो इस ग़लती को जल्दी से सुधारो!

- डॉ. प्रदीप शुक्ल
८ सितंबर २०१४

 

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