हिंदी है सुसंस्कृत

मैत्री की सूत्र
सरल है, मीठी है,
ओजस्विनी है हिंदी
अप्रतिम है लुभावनी है
परिचायक है मेरे देश की

हिन्दी है सागर
तुलसी, कबीर, मीरा की गागर
कवि सूर और तुलसी की आदर
स्वयं सिद्धा हिंदी
दिखती है विश्व पटल पर
वैज्ञानिक छवि लिए
विश्व बंधुत्व निभाती

सीढियाँ लाँघती
ज्ञान की मशाल लिए
चल पड़ी है हिंदी
देश की जड़ों को सींचती
बेहतर दुनिया की तस्वीर खींचतीं
द्वार पर खड़ी है
संस्कृति से लदी
बढ़ चली है
रास्ता बुनती
बहुत आगे!

- मंजुल भटनागर
८ सितंबर २०१४

 

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