भारत का सम्मान

भाषा जोड़ सके वही, जिसमें देशज गंध
परभाषा से ना मिले, ममता का आनंद

तब होगा इस देश का, दुनियाँ में उत्कर्ष
जब निज भाषा का करें, आदर सभी सहर्ष

जिस भाषा मे सोचते, उसमें हो संवाद
तभी आपकी सोच का, हो सच्चा अनुवाद

हिंदी हिंदी में कहे, एक पते की बात
निज भाषा में हैं लिखे, अंतस के जज़्बात

हिंदी में जब भी करें, अपने व्यक्त विचार
जो कहने की चाह है, निकलें वे उद्गार

भाषाओं में देश की, परम स्नेह सहकार
हिंदी को सबसे मिला, माँ बहना सा प्यार

हर भाषा को देश की, माँ का आशीर्वाद
सबमें खुशबू देश की, माटी का है स्वाद

भाषा कोई सीखिए, बढा लीजिए ज्ञान
निज भाषा ही आपको, देगी पर पहचान

निज भाषा की शान हैं, अलंकार, रस, छंद
सज धज कर इनसे निकल, भाव बहें स्वछंद

भाषा मरहम तुल्य है, भर दे सारे घाव
सब कष्टों से तार दे, निज भाषा की नाव

- ओम प्रकाश नौटियाल
८ सितंबर २०१४

 

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