हिंदी विश्व में गूँजे

हिंदी विश्व में गूँजे यही सुविचार कर लें हम।
वैभव के सुहाने स्वप्न सब साकार कर लें हम।

मुश्किल से उतारा है गुलामी का जुआ हमने।
दिल से ही स्वदेशी का उचित सत्कार कर लें हम।

कैसे भारती सुत हैं नहीं जो बोलते हिंदी।
ऐसे राजनेता का यहाँ प्रतिकार कर लें हम।

आजादी नहीँ पूरी न हो जब देश की भाषा।
हिंदी का करें सम्मान जय जयकार कर लें हम।

बाधायें बहुत हैं आज सब हमको हटानी हैं।
हिंदी की प्रगति पथ के सभी संस्कार कर लें हम।

हिंदी में रचें साहित्य कर लें देश की सेवा।
भाषा का करें उत्थान नवसंचार कर लें हम।

भारत माँ करे अभिमान अपने वीर पुत्रों पर।
हिंदी का करेँ विस्तार माँ को प्यार कर लें हम।

संस्कृत से मिला हमको खजाना खूब शब्दों का।
अपनी इस धरोहर से पुनः उद्धार कर लें हम।

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
८ सितंबर २०१४

 

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