हिंदी हमारी जान है
हैं अनेकों धर्म भाषा, एक हिंदुस्तान है
मातृभाषा हिन्द की, हिंदी हमारी जान है
देश की संस्कृति रिवाजों पर हमें भी गर्व हो
भारती की शान हिंदी, विश्व में पहचान है
नृत्य शंभू ने किया, डमरू बजा, ॐ नाद का
देववाणी के सृजन से विश्व का कल्यान है
पाणिनी ने दी व्यवस्था व्याकरण की विश्व को
हम सनातन छंद रचते गीत लय मय गान है
सूर तुलसी जायसी, भूषण कवी केशव हुए
चंद मीरा पन्त दिनकर, काव्य मय रसखान है
भार मात्रा व्यंजनों में, शब्द सब उत्तम गढ़े
रस अलंकारों सजी भाषा सुलभ गुणखान है
शब्द भण्डारों भरी यह विश्व की सिरमौर जो
आंग्लता से हो प्रभावित खो रही सम्मान है
मातृभाषा, देश पर, जिसको नहीं हो गर्व वह
पशु नराधम के सरीखी देश की संतान है
- हरिवल्लभ शर्मा
८ सितंबर २०१४
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