निज गौरव अपनी ही
भाषा
शासन के सब
कार्यों में जब हिन्दी का सम्मान न होगा।
तब तक दुनिया में भारत का सबसे ऊँचा स्थान न होगा।
अपनी भाषा बिन राष्ट्रों की कोई भी पहचान न होती।
आजादी आधी है जब तक हिन्दी को अधिमान न होगा।
निज गौरव का भाव जगेगा, केवल अपनी ही भाषा से,
अंग्रेजी अपनाकर तो फिर, भारत का उत्थान न होगा।
वेदों उपनिषदों की धरती, पर हिन्दी ने जन्म लिया है,
बिन हिन्दी भारत का हमको, बिल्कुल पूरा ज्ञान न होगा।
कैसे कह सकते हमको आजाद हुये दशकों बीते हैं,
जब तक संसद न्यायालय से अंग्रेजी-प्रस्थान न होगा।
अपनी भाषा के खोये सम्मानों को वापिस पाना है,
ठानें दिल में इसकी खातिर आजीवन विश्राम न होगा।
विश्व गुरू बनने का सपना कैसे हम साकार करेंगे,
विश्व गगन पर हिन्दी में जब भारत का गुणगान न होगा।
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-सुरेन्द्रपाल
वैद्य
९ सितंबर २०१३
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