मातृभाषा के प्रति

 

 

 

 

हिन्दी में सब काम करें

हिन्दी में सब काम करें
बोलचाल की सीधी भाषा का प्रयोग
अब आम करें

इस भाषा का
तिरस्कार कर यदि दूजी का मान करेंगे
यह निश्चित है अपने हाथों हम अपना अपमान करेंगे
हिन्दी भाषा सरल बहुत है, इसे न हम
बदनाम करें

पंत, मैथली शरण,
निराला, सबने इसको अपनाया,
भारतेन्दु, जय शँकर ने भी जन जन तक है पहुँचाया
वात्सायन, हरिऔध के सपने कभी न हम
नाकाम करें

हिन्दी है इस देश
की भाषा, जिसका हमको ज्ञान मिला है
हिन्दी में व्यवहार सरल है जैसे इक वरदान मिला है
हिन्दी की उडाएँ ना खिल्ली इसका
ऊँचा नाम करें

शरद तैलंग 
९ सितंबर २०१३

 

   

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter