मातृभाषा के प्रति

 

 

 

 

भारत का स्वाभिमान हिन्दी !

हिंद देश, देह-ह्रदय, महाप्राण हिन्दी
भारतीयता की मूल, पहचान हिन्दी

वंदनीय, अतुलनीय, सुभग-गान हिन्दी
सौम्य, सरल, सरस, मधुर, दिव्यज्ञान हिन्दी

अनगिन भाषाओं मध्य, दिनमान हिन्दी
चिंतन का बल-संबल, संविधान हिन्दी

उन्नत, उत्कृष्ट, लेखनी में मंत्र फूँके,
नवल-पंख कवियों की, शुभ उड़ान हिन्दी

प्रगतिपंथ पर सदा से, गतिमान हिन्दी
संस्कार, संस्कृति सँग, प्रवहमान हिन्दी

करूणामयी माता का, वरदान हिन्दी
जन-जन में रचा बसा, स्वाभिमान हिन्दी

डॉ. भावना तिवारी
९ सितंबर २०१३

 

   

 

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