मातृभाषा के प्रति


हिंदी ये हमारी है (दो घनाक्षरियाँ)


युग-युग चली आई, महिमा कवि ने गाई
भारत की भारती है, हिन्दी ये हमारी है
उच्च भाल भूषण का ताल खुसरो की लिये
भारतेंदु विद्यापति की यही दुलारी है
जतन से पाला इसे ऋषियों मनीषियों ने
छंद भाव, अमरत्व है तभी तो प्यारी है
किंतु भाव भारती की दुर्गति हुई ये आज
विश्व है भौचक लख कितनी बेचारी है


व्यवसाय असहाय, इसको बनायें नहीं
धनी गुणी पारंगत, हिन्दी ये हमारी है॥
होरी बोले गाँव में जो, धनिया जो गीत गाए
जन-मन में बसत, हिन्दी ये हमारी है॥
चित्र, चलचित्र, मित्र, पहुँचे हैं दूर देश
"जय हो" के गान रत, हिन्दी ये हमारी है॥
शब्द अर्थ से समर्थ, समृद्ध भाषा है यह,
शारदा स्वरूपी सत, हिन्दी ये हमारी है॥

--शैलजा सक्सेना
१० सितंबर २०१२

 

 

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