मातृभाषा के प्रति


हिंदी है हमारी शान (दो घनाक्षरियाँ)

हिंदी है हमारी शान, हिंदी है हमारी जान,
हिंदी से हमारा मान, हिंदी को प्रणाम है !
गौरव की भाषा हिंदी, भारत की आशा हिंदी,
स्नेह की प्रत्याशा हिंदी, हिंदी को प्रणाम है !
है देवों की वाणी हिंदी, जन की कल्याणी हिंदी,
मधुर-सुहानी हिंदी, हिंदी को प्रणाम है !
बसी है साँसों में हिंदी, जिह्वा पे, आँखों में हिंदी,
श्रेष्ठ है लाखों में हिंदी, हिंदी को प्रणाम है !

स्वर्ग में हिंदी भाषा में मधुर-मधुर बोल
बोल’ देवता न फूले गर्व से समाते हैं !
भारत माता के बच्चे रात-दिन घर-घर
गाँव-नगरों में, हिंदी में ही बतियाते हैं !
पाया विश्व में सम्मान, ये हमारा स्वाभिमान
हिंदी आगे हम शीश श्रद्धा से झुकाते हैं !
मातृ-भाषा, पितृ-भाषा, हिंदी ही है मित्र-भाषा
धिक उन्हें ! जो भी हिंदी बोलते लजाते हैं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

१० सितंबर २०१२

 

 

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