मातृभाषा के प्रति


हर लोरी में तुझको पाया

आँखे बंद करवा माँ ने जब -जब
सुलाया, हर लोरी में हिंदी
मैंने तुझको ही पाया

पहला अक्षर माँ
जो तूने ही तो रचा
"अ" लिखकर पहले तुझको
ही पढ़ा
ज्ञ से सारा ज्ञान तूने ही कराया
आँखे बंद करवा माँ ने जब -जब
सुलाया, हर लोरी में हिंदी
मैंने तुझको ही पाया

सामाजिकता की पहली उड़ा
समाज का पहला पाठ
स ने पढ़ाया
ग से गणित
भी तूने समझाया
तुझसे ही अपना अस्तित्व
मैंने पाया
रिश्तो का परिचय तूने
दिलवाया
आँखे बंद करवा माँ ने जब -जब
सुलाया, हर लोरी में हिंदी
मैंने तुझको ही पाया

--पूर्णिमा वत्स

१० सितंबर २०१२

 

 

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