मातृभाषा के प्रति


भारत की पहचान है हिंदी

जन गण मन की शान है हिंदी
भारत की पहचान है हिंदी
हिंदी है गौरव स्वदेश का
जन जन की ये जान है हिंदी
भारत के माथे की बिंदी।
अपनी प्यारी न्यारी हिंदी॥

हिंदी माता के समान है
हिंदी धर्म और ईमान है
हिंदी है एकता राष्ट्र की
हिंदी में सबका सम्मान है
हो गुजराती या हो सिन्धी।
सबकी राजदुलारी हिंदी॥

हिंदी का इतिहास पुराना
दुनिया भर ने है ये माना
हिंदी हिंद की राजधरोहर
हिंदी का हर इक दीवाना
इसमें रचकर मिले बुलंदी।
भाषा फूल की क्यारी हिंदी॥

किस युग से आई ये हिंदी
मानस पटल पे छाई हिंदी
पैदा हुई संस्कृत से जो
सबके ही मन भाई हिंदी
मेरी तेरी बात नहीं ये
दुनिया के मन वारी हिंदी॥

हिंदी गीत गजल है हिंदी
खिलता हुआ कमल है हिंदी
हिंदी भाषाओ की रानी
प्रेम का ताज महल है हिंदी
भाषाओं में सदा चुनिंदी।
सब पर पड़ती भारी हिंदी॥

पीयूष पराशर

१० सितंबर २०१२

 

 

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