मातृभाषा के प्रति


हमारी मान है हिंदी

हमारी मान है हिंदी
हमारी शान है हिंदी

मधुर रस, छंद में पक कर
गजब पकवान है हिंदी

भरे भण्डार शब्दों के
बड़ी धनवान है हिंदी

प्रचुर साहित्य बतलाते
बड़ी विद्वान है हिंदी

जगत की हर दिशाओं में
करे उनवान है हिंदी

करूँ गुणगान हृदय से
मेरी पहचान है हिंदी

--कृष्ण कुमार तिवारी किशन
१० सितंबर २०१२

 

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter