गंगा का पानी
बिसलरी की बोतल
दोनो बिकतीं
जो सूख गई
नदी में कूद मरी
दोनो ही गंगा
राजेन्द्र कांडपाल
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निश्छल जल
गंगा बहती रही
धो सब पाप
नदी न बस
गंगा इक संस्कृति
सूरीनाम में
-भावना सक्सेना
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अकेली गंगा
जग का सारा मैल
धोये तो कैसे
-स्वाती भालोटिया
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नारी गंगा सी
किनारे पहचाने
बीच मे बहे
पर्वत पुत्री
गोमुख से निकली
खिलखिलाई
-संध्या सिंह
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वेदों की गूंज
पावन गंगा घाट
मोक्ष का द्वार !
सुरसरिता
सींच के सभ्यताएँ
सूख न जाए !
-सुशीला शिवराण
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पावन धारा
करे आत्मा की शुद्धि
निर्मल गंगा
पौड़ी हर की
दीयों की श्रद्धाबाती
झिलमिलाती
चुन लो मोती
संस्कार के गंगा में
लगा डुबकी
अनिता कपूर
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हे गंगा मैया !
हो जीवन दायिनी
अमृत धार
शास्वत चिर
पतित उद्धारिणी
वत्सला गंगे
-कल्पना बहुगुणा
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दशम द्वार
सुशोभित गुरू-सी
ज्ञान की गंगा
-सतपाल ख्याल
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ईश का द्वार
प्रकृति उपहार
गंगा की धार
ममता भरी
मन्दाकिनी की धार
हमें सींचती
-सरस्वती माथुर
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गंगा पावन
अभियान चलाओ
स्वच्छ बनाओ
निर्मल गंगा
खुशहाल जीवन
हरी हो धरा
-- शशि पुरवार
२८ मई २०१२ |