१- गंगा
सागर
गंगा नाम है
एक खामोश प्रवाह का
जिसमें तिरकर
शमित होते हैं ताप
हृदय में छिपाकर
पीड़ा का सागर
गंगा बन जाती है
गंगा सागर
२- काशी
तट पर
काशी तट पर
गंगा का
असीम विस्तार
तट से टकरातीं
मिर्दुल तरंगें
मन पूछता है -
क्या यह वही
क्षीणकाय गोमुखी गंगा है ?
३- पतित पावनी
आँखों में उभरती है
अलकनंदा, पिंडर
मन्दाकिनी और यमुना
इनके सहज समर्पण ने ही
गंगा को बनाया
पतित पावनी गंगा
उर्मिला शुक्ला
२८ मई २०१२ |