१ अब दीखते नहीं बस्तियों के प्रतिबिम्ब मुझमें जल का दर्पण मैला जो हुआ २ ना गंगोत्री ना गोमुख अब मेरा पता केवल मानचित्र ३
उठ रहा है मेरे तट से धुवाँ आज फिर किसी घर में मातम हुआ हो रचना श्रीवास्तव २८ मई २०१२
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