आस्था विश्वास की सरिता है गंगा
पावनी अहसास की सरिता है गंगा
तृप्ति की है स्रोत सदियों से यही
मोक्षकामी प्यास की सरिता है गंगा
हर लहर में है समायी ज़िन्दगी
हर लहर करना सिखाती बन्दगी
यह नहीं है सिर्फ इक बहती नदी
उत्सवी उल्लास की सरिता है गंगा
एकता के गान का अनुनाद है
यह हृदय का प्रकृति से सम्वाद है
जल रहे निर्मल सदा यह कामना
इस धरा के श्वास की सरिता है गंगा
यह कला, साहित्य, संस्कृति दायिनी
सृजन के सोपान की अनुगामिनी
हर बूंद में इसके समायी ऊर्जा
अमरता-आभास की सरिता है गंगा
- डॉ.(सुश्री) शरद सिंह
२८ मई २०१२ |