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गंगा है भारत की पूज्या

 


 
गंगा है भारत की पूज्या
सुखप्रदायिनि माँ !

स्वर्ग लोक से सुरसरि उतरी
सबकी तृषा बुझाने
अपने उर से पयस पिलाकर
सींचे खेत सुहाने
प्राणदायिनि माँ !

संतानों के कलुष पखारे
तीरथ पाप उतारे
अन्तकाल दो बूँद कंठ में
भवसागर से तारे
मुक्तिप्रदायिनि माँ !

तुमने माँ के फ़र्ज़ निभाए
भूले हम कर्तव्य
घोल तुम्हारे आँचल बैठे
कूड़ा, गरल असंख्य।
क्षमादायिनि माँ !

निश्चय मन जो करें भागीरथ
अंक बने निर्मल
धन्य देश जिसमें माँ गँगा
युगों बहे अविरल
सदा प्रवाहिनि माँ !

-ज्योतिर्मयी पंत
१७ जून २०१३

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