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गंगा
बहुत उदास |
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गंगा बहुत उदास
भगीरथ कहाँ गए
लहरों ने अपने तट खोए
तट लगते अब रोए रोए
कूड़ा, कचरा, नाली, नाला,
सब कुछ है गंगा में डाला
हम इतने बेशर्म
इसी को कहते रहे विकास
भगीरथ कहाँ गए
हम बेहद हो गए सयाने
पाप किए जाने अनजाने
सदियों जिसने हमको पाला
हमने उसको विष दे डाला
झेल रही अपनी संतति का
अभिशापित संत्रास
भगीरथ कहाँ गए
कहाँ गए अनुबंध पुराने
यह तो कोई भगीरथ जाने
सगर-पुत्र फिर से अकुलाये
गंगा कौन बचाकर लाये
पूछ रहे जन-जन के मन से
गंगा
के उच्छ्वास
भगीरथ कहाँ गए
-डा० जगदीश व्योम
१७ जून २०१३ |
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