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        गरमी में

 

गर्मी में लहलहा रहा
है खूब करीपत्ता

गमले में रहकर भी इसने
सीख लिया जीना
एसी, कूलर से उत्सर्जित
विष को भी पीना
बात हवा से करता रहता
खुश हो अलबत्ता

बेशक इसकी भी अपनी है
दुनिया प्यारी-सी
बालकनी भी दीख रही है
हरियल क्यारी-सी
सूख रहे रंगीन सिमट कर
सब कपड़ा-लत्ता

नीचे नीम और गुलमौहर
हँस - हँस बतियाते
'पॉल्यूशन इंडैक्स' सभी
शहरों की बतलाते
नोएडा से सब पीछे हैं
बंबई कलकत्ता

- डा रामेश्वर प्रसाद सारस्वत
१ मई २०२१

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