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        ताप के दिन

 

चढ़ रहा सूरज
कि आए ताप के दिन

ग्रीष्म के दिन बड़े है
रातें छोटी पर सुहानी
आँगना मे हो बिछौना जब
याद आ जाती है बरबस
दादी-नानी की कहानी
बीतते थे बिन बिताए पल-छिन
कि आए ताप वाले दिन

आग बरसाती हवाएँ चल रही हैं
चुप है अब सारी दिशाएँ
मौन से ही छल रहीं हैं
जाने कब आ पाएँ सागर से
बादलों के साथ मानसूनी घटाएँ
अब दोपहरी मे कहाँ वो खाट
और आम्रवन के छाँव वाले दिन
कि आए ताप वाले दिन

- कमलेश कुमार दीवान 
१ मई २०२१

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