घर ही रहो विनोद निगम

 

 
चारों ओर
बिछा सूनापन, बाहर उजड़ा है मौसम
घर ही रहो विनोद निगम

गुड्डू की दुकान बंद है
आलू बोंडा चाय नहीं
जादू भाई घर में सोए
ग्राहक की परवाह नहीं
सड़के सूनी
चाय बंद है और वाय भी है बेदम
घर ही रहो विनोद निगम

घंटी वालों में बस घंटी
गायब है महेश के पेड़े
लौंग सेव गायब गुप्ता के
सभी पड़े हैं आड़े टेढ़े
चाट बताशा
सब गायब हैं, बिरयानी भी हुई खतम
घर ही रहो विनोद निगम

मित्र सभी अपने दड़बों में
राजू गोपी या कमलेश
मोबाइल तक बची मित्रता
गार्गव जी या मित्र सुरेश
यादवेश हैं
परिकम्मा में, फुल्लू फास्ट किंतु मैडम
घर ही रहो विनोद निगम

बुरे वक्त में आते काज
बँधे राजधानी रघुराज
अब सब घर के नहीं घाट के
आँगन के दिन
बड़े दाँत के, बैठो नंद कुटीर सनम
घर ही रहो विनोद निगम

- विनोद निगम
१ जून २०२०

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