सन्नाटा

 

 
सन्नाटा सन्नाटा
केवल सन्नाटा

शहर नगर घर में- बैठा है सन्नाटा
अब दुनिया भर में- बैठा है सन्नाटा
सोच जहन में उमड़- रहा है सन्नाटा
दहशत भरता घुमड़- रहा है सन्नाटा

सन्नाटा सन्नाटा
केवल सन्नाटा

देख आपसी व्यवहारों में- सन्नाटा
सब खुशियों में त्यौहारों में- सन्नाटा
डरा डरा सा दरबारों में- सन्नाटा
ऊँची सी इन मीनारों में- सन्नाटा

सन्नाटा सन्नाटा
केवल सन्नाटा

इस सन्नाटे की पदचाप- डराती है
अब रातों में जगे नींद- कब आती है
दिन उदास से थके थके से- टूटे से
जैसे पतझर में हों मौसम- रूठे से

सन्नाटा सन्नाटा
केवल सन्नाटा

सब घर में कैदी हैं- नाकेबंदी है
मौत कहाँ कब आ जायेगी- अंधी है
दहशत की चीलें मंडराती- हैं हरपल
हवा कान में यह कह जाती- है हरपल

सन्नाटा सन्नाटा
केवल सन्नाटा

- कृष्ण भारतीय
१ जून २०२०

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