कोरोना अजगर बनकर

 

 
कोरोना अजगर बनकर है
इंसानों को लील रहा

कितना
मुश्किल जीवन है जीना
घूँट जहर का पग पग पर पीना
पैरों से थकन बँधी आगे चलना
कई मील रहा

है जीने की
इक रिदम टूटती
किस्मत ओज भरी यहाँ फूटती
खुरपी लेकर यादों की पर्तों को
कोई छील रहा

- अविनाश ब्यौहार
१ जून २०२०

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