अनदेखे पाहुन

 

 
अनदेखे पाहुन तेरा है
कोटि-कोटि आभार

बोनसाई पद्धति के पथ थे
रिश्तों के आयाम
संगरोध ने दी व्यापकता
कुशल मिले परिणाम
तीन पीढियाँ साथ बैठकर
बाँट रहीं हैं प्यार

धुँध प्रदूषण हवा-रवा है
दुर्लभ दर्शन आज
स्वच्छ गगन उन्मुक्त पखेरू
चहक भरें परवाज
संभव उन्नत पर्यावरणीय
भाविष्यक आसार

अर्थ व्यवस्था शव शय्या पर
जाना चाहे लेट
छद्म हितैषी हुये हैं चिह्नित
सकल विश्व के मेट
बाज न आये जो करने से
श्वासों का व्यापार

बुरे हाल में भी हम पोछें
अपनी पट्टी आप
घटा रहे विचलित मुल्कों का
हाथ बढ़ाकर ताप
नहीं उतरने वाला ऐसा
करते हैं उपकार

- अनामिका सिंह 'अना'
१ जून २०२०

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