ये न समझो

 

 
ये न समझो कि जीवन ठहर जाएगा
वक्त मुश्किल है लेकिन गुजर जाएगा

रौशनी हर तरफ होगी खुशियों भरी
ये अँधेरा भी डर से सिहर जाएगा

जिसने घोला जहर सारे संसार में
शख़्स बचकर भला वो किधर जाएगा

गाँव गलियाँ सड़क सब ही वीरान हैं
क्या पता कब कोरोना का डर जाएगा

पल हैं फुर्सत के अपनों के संग बैठिए
रूठे रिश्तों में भी प्यार भर जाएगा

हाथ में जिसके हिम्मत की पतवार है
तय है वो पार एक दिन उतर जाएगा

- रमा प्रवीर वर्मा
१ जून २०२०

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