सड़कें सूनी हैं

 

 
सन्नाटा पसरा मातम सा
सड़कें सूनी हैं
बोल कोरोनावायरस है या
पंजे खूनी हैं

महाशक्ति है चीन अमेरिका
उनको ही हड़काते
इटली तो पर्यटन देश है
तांडव व्यर्थ मचाते
अब इरान पर हमला क्यों तू
हुआ जुनूनी है

कामगार मजदूर दिहाड़ी
घर में कैद हुए
भूखे पेट तेरे से लड़ने
को मुस्तैद हुए
कैसे लड़ें सोचते तू तो
अफलातूनी है

विश्वयुद्ध आपातकाल क्या
सेंसर साँसों पर
जमाखोर बाजार ''कालिये''
खेले लाशों पर
आम आदमी तके खास को
जो बातूनी है

जंगल कटे पहाड़ घटे फिर
कहाँ छिपे जाकर
तुझसे दूर वहीं जी लेते
कंदमूल खाकर
हिंसक पशु से डरना क्या जब
सुलगी धूनी है

- ओम धीरज
१ जून २०२१
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