एक अनजाना कहर

 

 
दूरियों में ही रहो
ये लॉकडाउन है

एक अनजाना कहर
चुपचाप बढ़ता जा रहा
हाथ से अपने ही
अपना हाथ डरता जा रहा

रात दिन था चीखता
चुप आज टाउन है

फोन पर बातें मुहब्बत की
नहीं हैं आजकल
ऑफलाइन ऑनलाइन में
हुए गुम आज हल

गम्य सुविधाओं का
सर्वर हुआ डाउन है

पाजिटिव हों हाथ किसके
क्या पता किसको खबर
देखते हैं आज अपनेपन
को अपने घूर कर

नियम शर्तों में बँधा
हर एक टाउन है

- उमेश मौर्य 
१ जून २०२१

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