|
नभ ने साँस ली है |
|
|
किस तरह का उठ रहा तूफान
नभ ने साँस ली है
जंग है या प्रलय है
या है किसी बदलाव का दिन
डर कहीं, हलचल कहीं,
सिसकी कहीं, उलझाव का दिन
औ' घरों के बंद सारे द्वार
नभ ने साँस ली है
हर कहीं बस पहरुए ही
घूमते प्रेतों सरीखे
इक समंदर सो गया
अंदर कोई उद्दाम चीखे
तट नहीं दिखता तरी से आज
नभ ने साँस ली है-
पूर्णिमा वर्मन
१ जून २०२१
|
|
|