ये अँधेरा कब तलक हमको
सताएगा
देख लेना फिर सबेरा
लौट आएगापेट हाथों में लिये हम
चल पड़े घर की तरफ
सोचते हैं क्यों गए थे
गैर के दर की तरफ
अब तुम्हारा
काम करने कौन आएगा
होन न पैसा गाँव में पर
भाईचारा है बहुत
जिंदा रहने केलिये बस
ये सहारा है बहुत
एक दिन
फिल दिल हमारा मुस्कुराएगा
हौसले की नाव ले
उस पार जाना है हमें
हम नहीं टूटेंगे
ये जग को बताना है हमें
आस का सूरज
गगन में जगमगाएगा
- मंजूषा मन
१ जून २०२१