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हर दिन त्योहार

 
सूरज की नज़दीकी
सोना लगती धरती
जंगल के गालों पर
हल्दी मलती धरती!

कोयल की बोली से
अमवा मिसरी घुलती
बेरंगे फूलों पर
खुशबू ज़्यादा ढुलती
सुगन्धा, सकूरा झर
मुकरियाँ अमलतासी
शिउली के फूलों को
चुन-चुन रखती धरती!

रंगोली प्रतियोगिता
नित नव है करवाती
सोनाली झूमर ले
पेड़ों पर लटकाती
दूर्वाक्षत छीटें दे
“शुभ-शुभ” बुदबुदाती
उत्सव की तैयारी
भुन-भुन करती धरती!

- शार्दुला नोगजा
१ अप्रैल २०२१

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