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        महाशक्ति

 
हे महा शक्ति हे कल्याणी
ज्योतिर्मय अमृत कलश छलको
जीवन में रस बरसो बरसो

मैं दीप सुमन परिमल विहीन
कुंकुम अक्षत नेवेद्य हीन
मैं शक्ति हीन मैं तेज़ हीन
सुषमा विहीन सौरभ विहीन

मैं ह्रतसर्वस्वा अकिंचना
इन चरणों में अब शरणों में

हे क्षमा शिवा ममता करुणा
अभिशाप पाप हर लो हर लो
स्वीकार आज कर लो कर लो

भावों में श्रद्धा सी बिखरो
निखरो मन में उज्ज्वलता सी
स्वप्नों में छाया सी लहरो
चेतनता में चंचलता सी

शुचिता सी श्वासों में बहती
उषा सी प्राणों के तम में

हे सरस्वती वरदान मयी
वाणी अमृत सरसो सरसो
ही महा देवि हरसो हरसो

अर्चना वंदना ऋचा मंत्र
सब अंग साधना अश्रु बनी
अभिलाषाएँ आकाक्षाएँ
आशीष नहीं अनुताप बनी

सर्वस्व समर्पित अभिनंदन
आलोक प्रभा धारा उर में

हे शक्तिमयी अनुराग मयी
सौभाग्य राग भर दो भर दो
सम्पूर्ण आज कर दो कर दो

- रंजना गुप्ता
१ अप्रैल २०२१

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