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        चैती गाएँ

 
मिल जुलकर हम पर्व मनाएँ
फाग विदा कर चैती गाएँ

सजी धरा स्वागत करने को
नवदुर्गा आने की बेला
अर्चन पूजन भजन, कीर्तन
घर द्वारे खुशियों का रेला
दुख दर्दों से मुक्ति पाएँ

राम अवतरण का शुभ पर्व
अरिकुल का विनाश हो सर्व
मर्यादा का पुनरुत्थान
हो अधर्म का अब प्रस्थान
सबका जो कल्याण कराएँ

नव संवत्सर का शुभ अवसर
कहें झूम फसलें लहराकर
आया बैसाखी त्योहार
सज धज झूम घूम सब नाचें
भंगड़ा, टप्पा मिलकर गाएं

- ज्योतिर्मयी पंत
१ अप्रैल २०२१

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