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बादलों के गाँव में
 
 
ओ री हवा! ले चल मुझे
बादलों के गाँव में

उड़े जहाँ सोंधी सुगंध
मंद शीत बयार हो
नील नभ की गागरी से
इत्र की बौछार हो
ओ री हवा! ले चल मुझे
खुशबुओं के गाँव में

धूप खेले डालियों से
रंग घोलें तितलियाँ
हों भ्रमर की गीत- गुंजन
झूमती हों क्यारियाँ
ओ री हवा! ले चल मुझे
चाहतों की गाँव में

पनघटों पे गीत गूँजें
धडकनों में सुर सजे
नयन से संवाद गुपचुप
हास में घुँघरू बजे
ओ री हवा! ले चल मुझे
झाँझरों के गाँव में

उल्लास हो उन्माद हो
अंग अंग जलतरंग
चाँदनी मल्हार छेड़े
लहर लहर में उमंग
ओ री हवा! ले चल मुझे
मांझियों के गाँव में

- शशि पाधा
१ अगस्त २०२४

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