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         मेघ पालकी

 
 
मेघ-पालकी उतरी आँगन
बूँदन सेज सजाओ सावन

नभ से गिरते मोती मनके
झाँके बिजुरी रह रह छन के
बरसो मेघा थोड़ा थमके
लाजो दुल्हन थर थर काँपे
द्वार धुले हल्दी के छापे
भारी पलकें, फैला आँजन
बूँदन सेज सजाओ सावन

ढोल ढमाढम व्योम बजाए
बिजुरी-पायल नृत्य दिखाए
रंगें रूह को धनक लुभाए
नदियाँ पोखर झरने खनकें
सारे पथ फूलों से गमकें
मधु बौछार पड़े मनभावन
बूँदन सेज सजाओ सावन

- त्रिलोचना कौर 'तनु'
१ अगस्त २०२४

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