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         बात करें बरसाती

 
 
आतंकी सूरज ने दागा
अंगारों का गोला
पारा पार पचास हुआ
तब भूगोल है डोला
बादल बरसा चीर अचानक
आसमान की छाती
फुरसत में हो तो
आओ दो पल
बात करें बरसाती!!

धरती का मन भाँप गये जब
अम्बर के मेहमान
छत के ऊपर धुआँ धुआँ कर
फैला दी मुस्कान
पंख हिला उड़ गये बगुले
शाम हुई गहराती!!

माटी भीगी सौंधी खुशबू
फिसल गयी आँचल में
हाथ थामकर चहक उठीं
इच्छाएँ मन की पल में
दूर कहीं पर कड़की बिजली
रात लगी शरमाती!!
फुरसत में हो तो आओ दो पल
बात करें बरसाती!!

- श्रीधर आचार्य 'शील'
१ अगस्त २०२४

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