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         दिन सावन के

 
 
बदले वर्ष
महीने बदले
किंतु न बदले दिन सावन के

तकिया बिना पीठ सोती है
करवट बदले तकिया
पेट अभागा चुका न पाता
कर्ज, उधारी, बकिया
बदली धूप
मुखौटे बदले
किंतु न बदले किन सावन के

सिर का चक्कर सिर पर चढ़ता
पैर ठुमरियाँ गाते
हाथ मृदंग बजाते रहते
होंठ न रोटी खाते
बदले छाज
छाप भी बदले
किंतु न बदले टिन सावन के

नहीं माँड़ पाती है अँगुरी
खाने भर भी आटा
पता नहीं इस उम्र-स्वास्थ्य को
किस कुत्ते ने काटा
बदली दवा
चिकित्सक बदले
किंतु न बदले पिन सावन के

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'
१ अगस्त २०२४

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