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         हाल सुनाओ बादल

 
 
मेरी हालत ठीक नहीं है
उसका हाल सुनाओ बादल

कभी बने हो मेघदूत तुम
कभी किसी का चित्र गढ़े हो
प्रेमी जन को बिन बतलाए
दुख का कारण तुम्हीं पढ़े हो
लेकिन मैं तो तड़प रहा हूँ
और न अब तड़पाओ बादल

जबसे आया शहर कमाने
उसका मुखड़ा देख न पाया
छत से मेरे चाँद निकट पर
चाँद का टुकड़ा देख न पाया
विनती यही हमारी सुन लो
उसका चित्र दिखाओ बादल

दिन भर इधर-उधर जाते हो
उसकी खोज-खबर ले आते
मैं उस पर कविता लिख देता
ले जाकर उस तक पहुँचाते
मैं जल्दी मिलने आऊँगा
जाकर उसे बताओ बादल

- सत्यशील राम त्रिपाठी
१ अगस्त २०२४

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