अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर


         बादल नर्तन

 
 
नभ में बादल नर्तन
मेघ माल संकीर्तन

चित्र पटल अंबर का बदला
मंजुल मोहक रूप गढ़े
रंग चुराये रवि किरणों से
आकर्षक प्रारूप जड़े
मेघ कलात्मक सर्जन

यह जलधर कितने श्रमजीवी
जलधि से नित्य जल लायें
भटक खोजते प्यासी धरती
झमझम फिर तृषा बुझायें
करते कृषक वंदन

जो भी पानीदार जगत में
उनकी इक पृथक पहचान
सौम्यता चमके चेहरे पर
परिचर्चा जन्य अभिमान
माथ दमकता चंदन

- ओम प्रकाश नौटियाल
१ अगस्त २०२४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter