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         बादल क्यों बरसो

 
 
बादल क्यों बरसो
दिन रैन

पर्वत पर्वत खिसक रहे हैं
लोग बाढ़ से हिचक रहे हैं
उड़ उड़ टेर लगाए पपीहा
घाटी हुई बहुत बेचैन
बादल क्यों बरसो
दिन रैन

ताल भरे नदियाँ उफान पर
गली सड़क, हर घर निशान पर
अँखियन अँखियन नीर पीर है
हिरा गया सुख चैन
बादल क्यों बरसो
दिन रैन

- कमलेश कुमार दीवान
१ अगस्त २०२४

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