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       बादल मन को मोहता

 
 
बादल भेजे पत्र में धरती पर सन्देश
मेघ -धरा के मिलन से महकेगा परिवेश

बादल आता झूमकर दिन में होती रात
धरती डूबे प्रेम में सुध-बुध खोती जात

झर-झर झरती बूँदियाँ गरज बरस का शोर
बादल मन को मोहता चला धरा की ओर

नभ चढ़ बादल कर रहा वसुधा से संवाद
रिमझिम रिमझिम नेह का बूँदों में अनुवाद

धरती से आकाश तक बदल बदल आकार
बादल मुखिया घूमता बनकर ठेकेदार

दुल्हा बादल आ गया ले बूँदों का हार
नयी नवेली दुलहन सी धरा हुई तैयार

रोम -रोम में भर गया बादल मीठी गंध
तन पर बूँदों की छुअन रचे प्रेम के छंद

दरकी धरती चहक उठी आता बादल देख
गाँव खेत खलिहान में फैली सुख की रेख

घर में शुभ उत्सव मने वन में नाचे मोर
मेघ - धरा अभिसार से मनवा हुआ विभोर

- पारुल तोमर
१ अगस्त २०२४

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