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       आए बादल झूम के

 
 
आए बादल झूम के, हर्षित हुआ चकोर
पीहू -पीहू गूँजता, लहके चहके भोर

मिलने धरती से जभी, बरसे बादल नीर
पीर विरह की घन हरे, गले लगाए हीर

व्योम तनी काली घटा, शीतल चली बयार
आग अगन ठंडी हुयी, झूमा प्रिय का प्यार

बूँद छींट भू घाघरा, श्याम घटा - से बाल
करे प्रकृति शृंगार है, घन से मिल खुशहाल

उमड़-घुमड़ बादल रचे, भू प्यारी को पत्र
मिलने तुझसे आ गया, यत्र तत्र सर्वत्र

सूर्य हुआ है लापता, बनी वृष्टि सरकार
जीवन देने आ गये, बदरा ठेकेदार

आए भू शिव पार्वती, पावन सावन मास
आध्यात्मिक उन्नति करे, भक्त रखे उपवास

अंबर पर घन तैरते, संगी साथी संग
कभी लगे सन सम धवल, कभी श्याम धर रंग

- डॉ मंजु गुप्ता
१ अगस्त २०२४

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