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          बादल ताँका

 
 

बादल घिरे
सोंधी पाती ने जोड़े
टूटे संबंध
मरुथल हिय में
घोले प्रेमिल रंग

बाँधे घुंघरू
मलय पवन ने
होंठो पे राग
मेघों ने ढोल पीटे
बुँदियों की बारात

अलकें खुलीं
साँवरी घटाओं की
मेघ निहाल
लगीं नाचने बूँदें
विद्युत के पंडाल

घन गरजे
घट छलक गया
पड़ी फुहार
भागे हवा छिछोरी
करके छेड़छाड़

सरसे मेघ
बरसे अमि धारे
पंख फुलाएँ
नीड़ छोड़के पंछी
पानी डुबकी मारें

- कृष्णा वर्मा
१ अगस्त २०२४

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