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       भूरे बादल काले बादल

 
 
भूरे बादल, काले बादल
सबकी पीड़ा पाले बादल

ताप सहा तब भाप बने हैं
सचमुच दिल के छाले बादल

तन के कितने सुघर सजीले
मन के बिजली वाले बादल

बरसें तो अमृत बन जायें
फल औ' फूल निवाले बादल

फट जायें तो प्रलय मचा दें
दिखते भोले-भाले बादल

नभ में उड़ते हुए समन्दर,
सबसे अलग, निराले बादल

सृष्टिमात्र के आदि अंत हैं
अमृत-विष के प्याले बादल

- उमा प्रसाद लोधी
१ अगस्त २०२४

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