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         शरबतों-सी बात

 
साथ बैठो
शरबतों सी बात कर लो यार
मौसम गर्म है बेहद

जी जलाती गर्म बहसें
छोड़, दो आओ
लतीफों की ढेर सारी
बर्फ बिखराओ
स्यात् इससे
जलन का मद्धम पड़े व्यापार
मौसम गर्म है बेहद

प्यार मीठा सा, ज़रा सा
बात में घोलो
हाथ थामो, अधर पर
मुस्कान रख बोलो
तनिक सी ही
तनिक राहत तो मिले सरकार
मौसम गर्म है बेहद

सौंप दो धूसर समय को
रंग चटकीला
लाल, नीला या गुलाबी
हरा या पीला
और सौंपो
फिर सुगंधों से भरी जलधार
मौसम गर्म है बेहद

रंग, खुशबू, बर्फ, चीनी
और पानी हो
‘आँच’ शीर्षक हो भले
शरबत कहानी हो
यही जीवन
ताप आमुख, ठंड उपसंहार
मौसम गर्म है बेहद

- सीमा अग्रवाल
१ जून २०२४

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