अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

         शर्बत चुनाव का

 
अद्भुत है
शर्बत चुनाव का

करे किसी का मुँह मीठा यह
खट्टे करता दाँत किसी के
चबवा रहा चने लोहे के
बजें दाँत से दाँत किसी के
ठंडाई-कॉफी निभाव का
अद्भुत है
मौसम चुनाव का

केर-बेर का संग अनोखा
जैसे लस्सी-चाय मिलाई
यह छल करता, वह दे धोखा
रोचक उठा-पटक है भाई
पना-भंग के संग छलाव का
अद्भुत है
मौसम चुनाव का

सुरा पी रहे गंगा जल कह
अधर हँसें पर दिल जाता दह
मलिन कह रहे शेष सभी को
रहे गंदगी में जो रह-बह
सदाचार-संयम गलाव का
अद्भुत है
मौसम चुनाव का

- संजीव सलिल
१ जून २०२४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter