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       जीवन रस

 
जीवन रस शरबत का प्याला

खसखस पीसें
रगड़ें पाहन, काली मिर्च, सौफ भी डाले
दिल दिमाग में ठंडक पहुँचे, गटगट पीते हम मतवाले
भीतर शंभू बैठे उन पर जैसे शीतल
जल है डाला

सहन नहीं कुछ
होता कब से गर्मी से पड़ते थे छाले
कैसे हो छुटकारा इससे, तेज किरण के चुभते भाले
लगता जैसे शिरा-धमनियाँ,बुनतीं तन में
मकड़ी जाला

महका चूरन
इलायची का सूखी जिह्वा धीरज खोती
स्वाद तंतु की मौज हो गई घूँट घूँट में खुशियाँ होती
देह ताप में उबल पड़े तो, ठंडा रस
रसना में ढाला

-हरिहर झा
१ जून २०२४

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