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         महफिल जमती शरबत से

 
नौ रस जग में पर शरबत रस का ना सानी
गरमी में शरबत अमरित, मरुधर में पानी
ठंडक मिलती शरबत से

अमरस, कट्ट, पना, ईखरस, लस्सी, छाछ
गर्मी में पीते ही इनको खिलती बाछ
नारंगी, मौसम्बी, फालसे और शिकंजी, बेल
शरबत के आगे हो जाते गोला, चुसकी फेल

हर फल से बन जाता है शरबत आसानी
लू ना लगती शरबत से

शरबत को महँगा करना हो उसे सजा दो
नीबू, द्राक्ष, खस, गुलाबजल से महका दो
पहना दो कुछ मुकुट सरीखे फल के कटके
जाम में होता शरबत का प्रभाव ही हट के

शरबत बन जाता है फिर शरबती रानी
म‍हफिल सजती शरबत से

स्वाद है जिह्वा तक अंदर तक असर करे
बर्फ से ठंडा शरबत गला तरबतर करे
ठंडाई, कुल्फी, का मौसम गरमी ‘आकुल’
शरबत तन में पूर्ति पानी की जबर करे

पल्प,चाशनी से बन जाता शरबत पानी
रंगत बनती शरबत से

- आकुल
१ जून २०२४

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