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           तीन क्षणिकाएँ

 
शिकंजी

खटास भरे पलों में
सामीप्य की मिठास घोल
चुटकीभर तकरार के नमक संग
सहानुभूति विश्वास और समर्पण
की बर्फ मिला
हम जीवनभर
ठंडी शीतल शिकंजी जैसे
प्यार का
आनंद लेते रहे
घूँट दर घूँट!

ठंडाई

खुशबू, स्वाद
नशे का अद्भुत तादातम्य
हमारे साथ सा!

शरबत

बोतलों में भरे रंगीन शरबत सा
माँ का दुलार ज्यूँ
मीठा ठंडा बर्फ का गोला
जी नहीं भरता!

- सरस दरबारी  
१ जून २०२४

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