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शरबत दस्तरखान (दोहे) |
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सूखी नदिया पेट की, जीव हुआ हलकान
रंग-बिरंगे काँच मे, शर्बत दस्तरखान
घुल-मिल चीनी खो गई, पीला नीबू संत
तर कर दे जो ताप को, बेचैनी का अंत
टूटी अमिया डाल से, इठलाई बाज़ार
मर्तबान मे सज गये, गलका, पना, अचार
बिछड़ी अमिया शाख से, किया पना से जोड़
नमक पुदीना योग से, निकला लू का तोड़
लूर लूर लू घूमती, छिपकर करती वार
पना, छाछ अरु शिकन्जी, बचाव को तैयार
गुंडागर्दी सूरज की,तानाशाही गाह।
जौ, मक्का, गेंहू, चना, सत्तू खोजे राह।।
- त्रिलोचना कौर "तनु"
१ जून २०२४ |
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